आज पहली बार यह महसूस हुआ की इस दुनिया में अकेलारह गया हुँ.
जो था ही नहीं उसके बगैर मैं तन्हा रह गया हुँ.
मैं छुप छुप कर उसके लिये किताब लिखा किया करता था।
आज मैं अपने ही किताब में तनहा रह गया हूँ,
कभी इन रास्तों में से गुज़र कर उस को घर छोड़ आता था।
आज मैं उन्ही रास्तों में तनहा रह गया हुँ.
कभी वो मुझ से इशारों से बातें किया करती थी।
हँसता हूँ आज मैं अपने ही इशारों में तनहा रह गया हुँ.
यक़ीन था फ़र्ज़ को कभी तो वो लौट आएगी।
रोता था फ़क़त उस के बगैर मैं तनहा रह गया हुँ.
आज ये जान खुश हूँ की मैं तो अपनपुराने दोस्तों में खुश हूँ
और उन्हें जीने के लिए नये रिश्ते बनाने पड़ रहे हैं.
जो था ही नहीं उसके बगैर मैं तन्हा रह गया हुँ.
मैं छुप छुप कर उसके लिये किताब लिखा किया करता था।
आज मैं अपने ही किताब में तनहा रह गया हूँ,
कभी इन रास्तों में से गुज़र कर उस को घर छोड़ आता था।
आज मैं उन्ही रास्तों में तनहा रह गया हुँ.
कभी वो मुझ से इशारों से बातें किया करती थी।
हँसता हूँ आज मैं अपने ही इशारों में तनहा रह गया हुँ.
यक़ीन था फ़र्ज़ को कभी तो वो लौट आएगी।
रोता था फ़क़त उस के बगैर मैं तनहा रह गया हुँ.
आज ये जान खुश हूँ की मैं तो अपनपुराने दोस्तों में खुश हूँ
और उन्हें जीने के लिए नये रिश्ते बनाने पड़ रहे हैं.