तुझे ख्वाबों में ही सही, पर तुम्हे पास बुला कर रोयाI
पर कहीं न तुझे पाकर अपने आप में बहुत रोयाI
मुझसे क्या गलती हुई , आज तक मै नहीं समझ पाया
तुम्हारे इतने करीब जाकर भी क्यों दूर हो गया
तुम्हारी लकीरों में शायद मेरा नाम नहीं थाI
इसलिए तो तुम मुझे अपने काबिल भी नहीं समझी
साथ माँगा था मैंने तुमसे ज़िन्दगी भर का,
दिल तोड़ दिया तुमने , इसमें मेरा क्या कसूर था I
हमने तो बहुत चाह तुम्हारे बिना मुस्कुराने की,
पर तुम्हारे बिना खुद को तनहा और उदास पाया I
पर तुम्हारे बिना खुद को तनहा और उदास पाया I
तुझे याद करके तेरी यादों को सीने से लगा कर रोया,
तुझे ख्वाबों में ही सही , पर तुम्हे पास बुला कर रोया I