Saturday, August 7, 2010

“दोस्तों में भी खुदा है…..”

हमने कोशिश बहुत की, पर रह न पाए हम

लिख-लिख कर कविता, उगल दिए सारे अपने गम



झूठ कहते रहे, कि ये सब एक कहानी है

हमको गम से प्यारी, अपनी अनमोल जवानी है



जो करीब थे दोस्त, सबपर उदासी का आलम छाया था

तू झूठ कहता है दोस्त, ये कहकर मुझको समझाया था



मेरी पाती पढ़, एक दोस्त ने अर्ज़ किया मुझसे

मुस्कुरा तू हमेशा, ये शिफारिश है तुझसे



अब सोचता हूँ कि दोस्तों को, और दुःख न देना है

जो मेरे दोस्त हैं उनसबसे, ब्लॉग अपना छुपा लेना है



डर लगता है कि, पकड़ा जाऊँगा मैं फिर से…..

“रब से कुछ न छुपा है….”

“दोस्तों में भी खुदा है…..”

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