Thursday, August 12, 2010

छूकर होंठ तेरे

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दम निकला दीवाने का, अब तो दीद देदो दिलबर मेरे….
मैं दीवानाआजकल”, अब आँसू गिरेंगे मेरे….
होंठ सूखे हुए हैं, सर्द हवा से मेरे
नरम होंगे ये अब, छूकर होंठ तेरे
देख लिया ज़माने की सभी, “ज़ीनतसी जवानों को
ज़माने की सारीज़ीनततुझमे, ये खबर नहीं है दीवानों को
दम निकला दीवाने का, अब तो दीद देदो दिलबर मेरे….
मैं दीवानाआजकल”, अब आँसू गिरेंगे मेरे….
तू कपडों में लगती, देवी की एक मूरत है
वरना तो तुझमे भोली सी, बस एक सूरत है
मैं जवानी के दिन अपने, जोड़ सकता हूँ उंगलियों पर
तू कर कुछ ऐसा, कि मैं रातें जोड़ पाऊँ उंगलियों पर


समझ मुझको अपना आशिक, मैं कोई कसम खाऊंगा
जब तक जवाँ रहेगी तू, बस तब तक साथ निभाऊंगा
दम निकला दीवाने का, अब तो दीद देदो दिलबर मेरे….
मैं दीवानाआजकल”, अब आँसू गिरेंगे मेरे….

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