दम निकला दीवाने का, अब तो दीद देदो दिलबर मेरे….मैं दीवाना “आजकल”, अब न आँसू गिरेंगे मेरे….होंठ सूखे हुए हैं, सर्द हवा से मेरेनरम होंगे ये अब, छूकर होंठ तेरेदेख लिया ज़माने की सभी, “ज़ीनत” सी जवानों कोज़माने की सारी “ज़ीनत” तुझमे, ये खबर नहीं है दीवानों कोदम निकला दीवाने का, अब तो दीद देदो दिलबर मेरे….मैं दीवाना “आजकल”, अब न आँसू गिरेंगे मेरे….तू कपडों में लगती, देवी की एक मूरत हैवरना तो तुझमे भोली सी, बस एक सूरत हैमैं जवानी के दिन अपने, जोड़ सकता हूँ उंगलियों परतू कर कुछ ऐसा, कि मैं रातें न जोड़ पाऊँ उंगलियों पर
न समझ मुझको अपना आशिक, मैं न कोई कसम खाऊंगाजब तक जवाँ रहेगी तू, बस तब तक साथ निभाऊंगादम निकला दीवाने का, अब तो दीद देदो दिलबर मेरे….मैं दीवाना “आजकल”, अब न आँसू गिरेंगे मेरे….
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Thursday, August 12, 2010
छूकर होंठ तेरे
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