दिल्ली की जो गर्मी है,
कुछ कर ही नहीं पायेंगे आप
ऐसी कूलर चला के रखिये
बरना उड़ जायेंगे बनकर भाप!
बिजली तो अक्सर जाती है
सूरज आग उगलता है
पनि की भी किल्लत है
दिल्ली बहुत सताती है !
पसीना टप-टप चूता है
बदन से आग निकलता है
मई – जून का महिना तो
दिल्ली में काफी खलता है!
जब कपडे गीले हो जाते हैं
मन गुस्से में झल्लाता है
ब्लू लाइन बस में बैठे-बैठे
बारिश की आस लगाता है!
गलती से जो गर्मी में
कभी बारिश हो जाती है
कसम से हर दिल्लीवासी को
बहुत राहत पहूँचाती है!
पिछले जनम में दिल्ली ने
जाने क्या किए थे पाप
कि भगवान ने गुस्से में दिया
ऐसी भयानक गर्मी का श्राप!
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