Saturday, January 8, 2011

मेरी नज़र की तलाश हो तुम



“कहूँ के क्या हो तुम….?”


मेरे लिए मेरी दुनिया हो तुम,
छु के जो गुज़रे वो हवा हो तुम,
मैंने जो मांगी वो दुआ हो तुम,
किया मैंने महसूस वो एहसास हो तुम,
मेरी नज़र की तलाश हो तुम,
मेरी ज़िन्दगी का करार हो तुम,
मैंने जो चाह वो प्यार हो तुम,
मेरे इंतजार की रहत हो तुम,
मेरे दिल की चाहत हो तुम,
तुम हो तू दुनिया है मेरी,
कैसे कहूँ की सिर्फ प्यार नहीं,
मेरी जान हो तुम....................

Sunday, January 2, 2011

ज़बान

मेरी ज़बान मेरी हालत बता नहीं सकती
लबों पे रूकती दिलों में समां नहीं सकी !

वो एक बात जो लफ़्ज़ों में आ नहीं सकती 
जो दिल में होना ज़रा ग़ुम तो अश्क पानी है,

के आग ख़ाक को कुंदन बना नहीं सकती
यकीन गुमान से बहार तू हो नहीं सकती,

नज़र ख्याल से आगे तू जा नहीं सकती.
दिलों के रंज फ़क़त अहले दर्द जानते हैं,

तेरी समझ में मेरी बात आ नहीं सकती.
यह सोच-ए-इश्क तो गूंगे का ख्वाब है जैसे

मेरी ज़बान मेरी हालत बता नहीं सकती. 
लबों पे रखती दिलों में समां नहीं सकी,
इन आँखों में कभी जो झांको तुम,
इन में सभी तस्वीर तुम्हारी है!
कहने  को तो ये नादान दिल है हमारा,
लेकिन इसमें सभी धडकने तुम्हारी है!.......