Sunday, July 12, 2015

ज़िन्दगी के बदलते पहलु

बेसबब ही कोई मर ना जाये,
उससे कह दो यूं ना मुस्कुराये..
आज मौसम की थी पहली बारिश,
लेके तेरा नाम हम जी भर के नहाए......
आ मिल जाऐ हम सुगंध और सुमन की तरह....
एक हो जाऐ चलो जान और बदन की तरह......
जो गुमसुम सी रहती थी दीवार पे कभी...
वो तस्वीर आज बातें हजार बनाने लगी.....
किसी ने धूल आँखो में क्या डाली....
अब पहले से बेहतर दिखता है।
हम नाराज़ ज़रूर होते है,
पर नफरत नहीं करते...!
बड़ी तो लगनी ही थी भ्रम की चादर....
देखा नहीं था ना पाँव फैलाकर.....
अजब जज्बा है जवानी मैं इश्क़ करने का ,
उम्र जीने की है ,ओर शौक मरने का....
सजदों में गुजार दूँ मैं अपनी सारी जिंदगी...
एक बार वो कह दे मुझे दुआओं से माँग लो....
तुझे शिकायत है कि मुझे बदल दिया है वक्त ने.....
कभी खुद से भी तो सवाल कर क्या तू वही है.....