Friday, December 24, 2010

हया, भारतीय नारी


झुकी हुयी ये ऑंखें तेरी,
सादगी से भरा ये चेहरा तेरा,
आफरीन लग रही है तू इस कदर,
कोई क्यूँ ना मोहब्बत कर बैठे…

तुझे देख के ऐसा लगता है,
फुर्सत में बनाया कुदरत ने तुझे,
डूबा रहा वो जिस अंजुमन में.
हम  क्यूँ  ना उसी में मर बैठे ........

Thursday, December 2, 2010

चाहत

अपने महबूब को चाँद कहने वालो….
टूटे सपनों से चौंक कर उठने वालो….
 कभी देखो मेरे चाँद को जो आसमा में छाया है
हो रही मुलाकात मेरी, ये आज फिर मुझसे मिलने आया है 
मेरे चाँद की खूबसूरती को समेंटने की कोशिश करने वालो, ये कोई सुंदरी की काया है
सदियों से समेंट पाया मैं, आज फिर कोशिश की तो अपने चाँद को और भी खूबसूरत पाया हैI  

Wednesday, December 1, 2010

खामोशी


दर्द कुछ घटता नहीं  है, क्या करें ,
दिल कहीं लगता नहीं है, क्या करें.

रात काली स्याह इतनी देर थी,

दिन में कुछ दीखता नही है क्या करें .

बाँध था जो सब्र का बरसों तलक,
बाढ़ आ कर ढा गयी है क्या करें .

ख्वाब - खाली थे, बहुत खामोश थे,

कोई छम से आ गयी हैं क्या करें .
देख कर इक बार उनको रूबरू,
ख़त से जी भरता नहीं है क्या करें . 

तुम हो ,तुम हो ,तुम ही तुम हो , हो ना तुम , तुम , हो ना तुम

कुछ  पल  साथ  चले  तो  जाना , रास्ता   है  जाना पहचाना.  
साँसों  को  सुर  दे  जाता  है , तेरा  यूँ सपनों  में  आना .
मैंने  जातां  किये  तो  लाखों , मनं  ने  मीत  तुम्ही  को  माना .
अब  तो  हाथ  थाम  लेने  दो ,और  कहो  ना  , ना  ना  , ना ना  
 कुछ  कहो  ना  .. 

सौ  जनम  का  साथ  अपना ,साँस  का  धड़कन  से  जैसे  ,
आस  का  जीवन  से  जैसे ,कैसे  कटे  साल  सोलह ,
श्याम  की  जोगन  के  जैसे .झूट  के  परदे  ना  ढूँढो ,
सच  कहो  ना ,कुछ  कहो  ना  .. 

एक  दूजे  के  लिए  हम ,हाथ  मैं  कंगन  के  जैसे ,
प्यास  मैं  सावन  के  जैसे ,रूप  को  दर्पण  के  जैसे ,
भक्त  को  भगवन  के  जैसे .झील  सी  सिमटी  ना  बैठो ,
कुछ  बहो  ना  . कुछ  कहो  ना  ..


जानता  हूँ  थक  गयी  हो , उम्र  के  लम्बे  सफ़र  से ,
सांप  से  दस्ते  शहर  से , आस  से  और  आंसुओं  से ,
भीड़  के  गहरे  भावानर से .वक़्त  फिरता  है  सुनो  ,
इतना  डरो  ना . कुछ  कहो  ना  ..


किस तरह  लड़ती  रही  हो ,प्यास  से  परछाइयों  से ,
नींद  से  , अंगराइयों  से ,मौत  से  और  ज़िन्दगी  से ,
तीज  से  ,तनहाइयों  से .सब  तपस्या  तोड़  डालो ,
अब  सहो  ना, कुछ  कहो  ना  !! 

स्याह  सन्नाटों  मैं  हमने ,उम्र  कटी  है  तनहा ,
तंग  और  अंधी  सुरंगें ,इस  गुफा  से  उस  गुफा .
सांस  थी  सहमी  हुई  सी ,धड़कनों  को  इक  डर ,
इतना  तनहा  और  लंबा ,जिंदगी  का  उफ़  सफ़र .


दूर  मीलों  दूर  जलाती  ,लौ  कोई  लगती  हो  तुम  ,
तुम  हो ,तुम  हो ,तुम  ही  तुम  हो  ,हो  ना  तुम , तुम , हो  ना  तुम .
पल  से  पल  तक  जी  रहे  हैं ,तुम  ही  पल  पल  आस  हो  ना ,
एक  पल  तो  और  ठहरो  ,एक  पल  दिखाती  रहो  ना  .

कुछ  कहो  ना  !!

Monday, October 18, 2010

वफ़ा निभाएं हम

‘अनमोल’ अपने आप से कब तक लड़ा करें
जो हो सके तो अपने भी हक़ में दुआ करें

हम से ख़ता हुई है कि इंसान हैं हम भी
नाराज़ अपने आप से कब तक रहा करें

अपने हज़ार चेहरे हैं, सारे हैं दिलनशीं
किसके वफ़ा निभाएं हम किससे जफ़ा करें

नंबर मिलाया फ़ोन पर दीदार कर लिया
मिलना सहल हुआ है तो अक्सर मिला करें

तेरे सिवा तो अपना कोई हमज़ुबां नहीं
तेरे सिवा करें भी तो किस से ग़िला करें

दी है कसम उदास न रहने की तो बता
जब तू न हो तो कैसे हम ये मोजिज़ा करें


Wednesday, September 1, 2010

जन्मास्टमी



चन्दन  की  खुशबु  रेशम  का  ह …
चन्दन  की  खुशबु  रेशम  का  हार  
सावन  की  सुगंध  बारिश  की  फुहार 
राधा  की  उम्मीद  कन्हैया  का  प्यार 
मुबारक  हो  आपको  जन्मास्टमी  का  त्यौहार …


आप सबों को जन्मास्त्मी मुबारक हो....

Friday, August 27, 2010

तुझे पुकारा तनहाइयों में I

तुझे  ख्वाबों  में  ही   सही,  पर  तुम्हे  पास   बुला  कर  रोयाI

हर  जगह  तुझे  ढूंढा , तुझे  पुकारा  तनहाइयों   में 

पर कहीं  न  तुझे  पाकर  अपने  आप  में  बहुत  रोयाI 

मुझसे  क्या  गलती  हुई , आज  तक  मै नहीं  समझ  पाया

तुम्हारे  इतने  करीब  जाकर  भी  क्यों  दूर  हो  गया
तुम्हारी  लकीरों  में  शायद  मेरा  नाम  नहीं  थाI



इसलिए  तो  तुम  मुझे  अपने  काबिल  भी  नहीं  समझी
साथ  माँगा  था  मैंने  तुमसे  ज़िन्दगी  भर  का,

दिल  तोड़  दिया  तुमने , इसमें  मेरा  क्या  कसूर था I

हमने  तो  बहुत  चाह  तुम्हारे  बिना  मुस्कुराने  की,
पर  तुम्हारे  बिना  खुद  को  तनहा  और  उदास  पाया I


 
तुझे  याद  करके  तेरी  यादों  को सीने  से  लगा  कर रोया,
तुझे  ख्वाबों  में  ही  सही , पर  तुम्हे  पास  बुला कर  रोया I

जी लो मेरे साथ! कल हो न हो,

Do chhoti si , adhuri si, ghazal arz kartaa hoo.n.I tried to complete them , but couldn't .



Then I gave up . May be they are good as it is , ie. incomplete. After all, am I complete ? ?

आओ  



खेल  कर  यूँ  उँगलियों  से  बालों  में  ,
और  उलझाओ  ना  सवालों में .

पढने  वाले  तो  पढ़  ही  लेते  हैं,
दिल  की  सब  दास्ताँ  रुमालों  में .

गर  हकीकत  मैं  ना  हुए हासिल ,
मिलने  आओगे  ना  ख्यालों में  ?


कल  सुबह  ज़िन्दगी  रहे  ना  रहे,
...??



KOHRA

आज  वादी  में खूब  कोहरा  है  ,
दिल  अकेला  है दर्द  दोहरा  है .

तेरे  कानो   को ही  नहीं  पहुंची ,
बात  जिसका  की  यूं  धिन्दोरा  है .

आसमानों  से  खेलता  है  वो ,
आदमी  क्या  है  एक  मोहरा  है  .

ढेर  सारा  नहीं  है  तो  ना  सही  ,
यह  तो  कह  दो  की  प्यार  थोड़ा  है .

याद  आती  हो  इस  कद्र  से  तुम,
. . . ??..

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है



कोई  दीवाना  कहता  है, कोई  पागल  समझता  है
मगर  धरती  की  बेचैनी  को  बस  पागल  समझता  है!
मैं   तुझसे  दूर  कैसा  हूँ, तू  मुझसे  दूर  कैसी  है

ये  तेरा  दिल  समझता  है, या  मेरा  दिल  समझता है!






मुहब्बत एक एह्सस्सों  की  पवन  सी  कहानी  है
कभी  कबीरा  दीवाना  था, कभी  मीरा  दीवानी  थी!
यहाँ  सब  लोग  कहते  हैं  मेरी  आँखों  में  आसूं  हैं
जो  तू  समझे  तो  मोती  है , ना  समझे  तो  पानी  है!






समंदर  पीर  का  अन्दर  है  लेकिन  रो  नहीं सकता
ये  आसूं  प्यार  का  मोती  है  इसको  खो  नहीं  सकता !
मेरी  चाहह्त  को  अपना  तू  बना  लेना  मगर  सुन   ले  
जो  मेरा  हो  नहीं पाया  वो  किसीका   हो  नहीं  सकता !






कोई   ब्रह्मर  कोई  कुमुदनी  पर  मचल  बैठा  तो  हंगामा
हमारे  दिल  में  कोई  ख्वाब  पल  बैठा  तो  हंगामा!
अभी  तक  डूब  कर  सुनते  थे  सब  किस्सा  मुहब्बत  का
मै किस्से  को  हकीकत  में  बदल  बैठा  तो  हंगामा!

Tuesday, August 17, 2010

जिद्द है या दीवानापन है!!



 यह  कैसी  मीठी  उलझन  है ? 


धुप  तुम्हारी  याद  दिलाती,
छांव  तुम्हारी  ही  बातें  हैं,
आँखे  एक  झलक  को  प्यासी,
भूले  नहीं  भुला  पाते  हैं,



इतना  क्यों  मोहित  यह  मन  है!

तुमसे  मिलाने  को  आतुर  क्यों, 
मेरा  रोम  रोम  रहता  है,
प्यार  सही  है  , पाप  नहीं  है,
क्यों  मेरा  अंतर  कहता  है,



जिद्द  है  या  दीवानापन  है!! 

मिटटी  की  सौंधी  खुशबू  सी,
या  पूजा  की  झांझर  जैसी,
रिमझिम  रिमझिम  बरखा  हो,
तुम  बहती  नदिया  के  सुर  सी,



तुम  मैं  मेरा  बृन्दावन  है  !!!

Monday, August 16, 2010

मेरा दर्द उनके नाम



उन्हें प्यार करना ही नहीं आता,
हमें प्यार के सिवा कुछ नही आता!
जीने के दो ही रास्ते है,
एक उन्हें नही आता एक हमे नही आता!
वो हमारे सिवा सब से मिलते है,
हमे किसी से हाँथ मिलाना नही आता!
उन्हें होता नही यकीन हमारे सच्चे प्यार पे,
और हमे दिल चीर कर दिखाना नही आता!
वो भूल जाते हैं चेहरा तक मेरा,
एक हम हैं जिसे सपने में भी आलावे उनके नज़र कोई नही आता!

Sunday, August 15, 2010

ये तेरा दोस्ताना

 

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क्या ये तेरी दोस्ती और कैसा ये तेरा दोस्ताना
हसता है तू हमपर ऐसे, सुनकर मेरे प्यार का अफसाना

तू भी झूठा और ये तेरी दोस्ती भी झूठी
तूने बहुत है खींचा, तब ये डोर है टूटी

तुझसे लिपटकर, रोने को जी करता है
पर तू नहीं है मेरा दोस्त, ये सोचकर दिल रोता है

ये कविता नहीं मेरा दर्द रो रहा है
मुझे मालुम है कि तू बस, मेरे दर्द का भूका है

Friday, August 13, 2010

जन्मदिन आए बारंबार

Birthday
जन्मदिन आए बारंबार
तारों से चमको जग मग में
मिले स्नेह अपार
जन्मदिन आए बारंबार
खुशियों से भरी झोली हो
फिर भी कोयल सी बोली हो
झरे वसंत बहार
जन्मदिन आए बारंबार
अपनों के संग सब मेले हों
सच सपने सब अलबेले हों
किस्मत करे शृंगार
जन्मदिन आए बारंबार

Thursday, August 12, 2010

छूकर होंठ तेरे

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दम निकला दीवाने का, अब तो दीद देदो दिलबर मेरे….
मैं दीवानाआजकल”, अब आँसू गिरेंगे मेरे….
होंठ सूखे हुए हैं, सर्द हवा से मेरे
नरम होंगे ये अब, छूकर होंठ तेरे
देख लिया ज़माने की सभी, “ज़ीनतसी जवानों को
ज़माने की सारीज़ीनततुझमे, ये खबर नहीं है दीवानों को
दम निकला दीवाने का, अब तो दीद देदो दिलबर मेरे….
मैं दीवानाआजकल”, अब आँसू गिरेंगे मेरे….
तू कपडों में लगती, देवी की एक मूरत है
वरना तो तुझमे भोली सी, बस एक सूरत है
मैं जवानी के दिन अपने, जोड़ सकता हूँ उंगलियों पर
तू कर कुछ ऐसा, कि मैं रातें जोड़ पाऊँ उंगलियों पर


समझ मुझको अपना आशिक, मैं कोई कसम खाऊंगा
जब तक जवाँ रहेगी तू, बस तब तक साथ निभाऊंगा
दम निकला दीवाने का, अब तो दीद देदो दिलबर मेरे….
मैं दीवानाआजकल”, अब आँसू गिरेंगे मेरे….

Sunday, August 8, 2010

ये दूरियां

बिन  तेरे  ये  जिंदगी  अधूरी  थी ,
तेरे  साथ  न  होना  मेरी  मज़बूरी  थी ,
हो  कर  भी  पास  तू  दूर  थी  मुझे  से ,
जाने  ये  कैसी  दुरी  थी ,

आना  चाहता  था  पास  तेरे ,
पर  जाने  क्यों  इतना  डरता  था ,
दूर  से  देख  मुझे  वो  ,
धीरे  से  सजदा  करती  थी ,

मोहब्बत  में  वो  भी  मेरी ,
पल -पल  आहें   भारती  थी ,
छिप-छिप  कर  वो  मुझेसे  ,
मिलने  की  कोशिश   करती  थी ........

Saturday, August 7, 2010

मेरी जान

जान… तुम ठंडे चाँद की तरह…

मैं ज़लते सूरज की तरह… मेरी जान

चाँद से ढलती न शाम और न ही होता सवेरा…

पर सूरज देता है रंगीनी शाम और सुहाना सवेरा… मेरी जान

ये हकीकत है !!!

जान… मैं सूखे पेड़ सा बेजान…

तुम सुबह की ठंड में पेड़ पर लिपटी ओस के सामान… मेरी जान

पर सूखा पेड़ ही जलकर देता सबको ठंड में चाय की चुस्की के साथ प्यार भरी मुलाकातें…

ये हकीकत है !!!

जान… हजारों को घायल कर रुला देने वाली है तुम्हारी एक मुस्कान…

मेरी मुस्कान न लूट सकती किसी का चैन और न कर पाती किसी को बेताब… मेरी जान

पर मेरी मुस्कान ने मुस्कुराना सिखाया उन लोगों को जिनको करती परेशान तुम्हारी मुस्कान…

ये हकीकत है !!!

जान… तुम समझ सकती हो प्यार का मतलब और दे सकती हो सबको ज्ञान…

मैं अज्ञान… प्यार को कभी समझ न पाया… मेरी जान

पर क्यूंकि किया… किया… और बस किया तुमसे इतना प्यार…

कि वक़्त न निकाल पाया प्यार को समझने का… मेरी जान

ये हकीकत है !!!

“दोस्तों में भी खुदा है…..”

हमने कोशिश बहुत की, पर रह न पाए हम

लिख-लिख कर कविता, उगल दिए सारे अपने गम



झूठ कहते रहे, कि ये सब एक कहानी है

हमको गम से प्यारी, अपनी अनमोल जवानी है



जो करीब थे दोस्त, सबपर उदासी का आलम छाया था

तू झूठ कहता है दोस्त, ये कहकर मुझको समझाया था



मेरी पाती पढ़, एक दोस्त ने अर्ज़ किया मुझसे

मुस्कुरा तू हमेशा, ये शिफारिश है तुझसे



अब सोचता हूँ कि दोस्तों को, और दुःख न देना है

जो मेरे दोस्त हैं उनसबसे, ब्लॉग अपना छुपा लेना है



डर लगता है कि, पकड़ा जाऊँगा मैं फिर से…..

“रब से कुछ न छुपा है….”

“दोस्तों में भी खुदा है…..”