Moved to new Blog https://mittikegullak.blogspot.com/
Saturday, August 14, 2010
Friday, August 13, 2010
जन्मदिन आए बारंबार
जन्मदिन आए बारंबार
तारों से चमको जग मग में
मिले स्नेह अपार
तारों से चमको जग मग में
मिले स्नेह अपार
जन्मदिन आए बारंबार
खुशियों से भरी झोली हो
फिर भी कोयल सी बोली हो
झरे वसंत बहार
जन्मदिन आए बारंबार
फिर भी कोयल सी बोली हो
झरे वसंत बहार
जन्मदिन आए बारंबार
अपनों के संग सब मेले हों
सच सपने सब अलबेले हों
किस्मत करे शृंगार
जन्मदिन आए बारंबार
सच सपने सब अलबेले हों
किस्मत करे शृंगार
जन्मदिन आए बारंबार
Thursday, August 12, 2010
छूकर होंठ तेरे
दम निकला दीवाने का, अब तो दीद देदो दिलबर मेरे….मैं दीवाना “आजकल”, अब न आँसू गिरेंगे मेरे….होंठ सूखे हुए हैं, सर्द हवा से मेरेनरम होंगे ये अब, छूकर होंठ तेरेदेख लिया ज़माने की सभी, “ज़ीनत” सी जवानों कोज़माने की सारी “ज़ीनत” तुझमे, ये खबर नहीं है दीवानों कोदम निकला दीवाने का, अब तो दीद देदो दिलबर मेरे….मैं दीवाना “आजकल”, अब न आँसू गिरेंगे मेरे….तू कपडों में लगती, देवी की एक मूरत हैवरना तो तुझमे भोली सी, बस एक सूरत हैमैं जवानी के दिन अपने, जोड़ सकता हूँ उंगलियों परतू कर कुछ ऐसा, कि मैं रातें न जोड़ पाऊँ उंगलियों पर
न समझ मुझको अपना आशिक, मैं न कोई कसम खाऊंगाजब तक जवाँ रहेगी तू, बस तब तक साथ निभाऊंगादम निकला दीवाने का, अब तो दीद देदो दिलबर मेरे….मैं दीवाना “आजकल”, अब न आँसू गिरेंगे मेरे….
Sunday, August 8, 2010
ये दूरियां
बिन तेरे ये जिंदगी अधूरी थी ,
तेरे साथ न होना मेरी मज़बूरी थी ,
हो कर भी पास तू दूर थी मुझे से ,
जाने ये कैसी दुरी थी ,
आना चाहता था पास तेरे ,
पर जाने क्यों इतना डरता था ,
दूर से देख मुझे वो ,
धीरे से सजदा करती थी ,
मोहब्बत में वो भी मेरी ,
पल -पल आहें भारती थी ,
छिप-छिप कर वो मुझेसे ,
मिलने की कोशिश करती थी ........
तेरे साथ न होना मेरी मज़बूरी थी ,
हो कर भी पास तू दूर थी मुझे से ,
जाने ये कैसी दुरी थी ,
आना चाहता था पास तेरे ,
पर जाने क्यों इतना डरता था ,
दूर से देख मुझे वो ,
धीरे से सजदा करती थी ,
मोहब्बत में वो भी मेरी ,
पल -पल आहें भारती थी ,
छिप-छिप कर वो मुझेसे ,
मिलने की कोशिश करती थी ........
Saturday, August 7, 2010
मेरी जान
जान… तुम ठंडे चाँद की तरह…
मैं ज़लते सूरज की तरह… मेरी जान
चाँद से ढलती न शाम और न ही होता सवेरा…
पर सूरज देता है रंगीनी शाम और सुहाना सवेरा… मेरी जान
ये हकीकत है !!!
जान… मैं सूखे पेड़ सा बेजान…
तुम सुबह की ठंड में पेड़ पर लिपटी ओस के सामान… मेरी जान
पर सूखा पेड़ ही जलकर देता सबको ठंड में चाय की चुस्की के साथ प्यार भरी मुलाकातें…
ये हकीकत है !!!
जान… हजारों को घायल कर रुला देने वाली है तुम्हारी एक मुस्कान…
मेरी मुस्कान न लूट सकती किसी का चैन और न कर पाती किसी को बेताब… मेरी जान
पर मेरी मुस्कान ने मुस्कुराना सिखाया उन लोगों को जिनको करती परेशान तुम्हारी मुस्कान…
ये हकीकत है !!!
जान… तुम समझ सकती हो प्यार का मतलब और दे सकती हो सबको ज्ञान…
मैं अज्ञान… प्यार को कभी समझ न पाया… मेरी जान
पर क्यूंकि किया… किया… और बस किया तुमसे इतना प्यार…
कि वक़्त न निकाल पाया प्यार को समझने का… मेरी जान
ये हकीकत है !!!
“दोस्तों में भी खुदा है…..”
हमने कोशिश बहुत की, पर रह न पाए हम
लिख-लिख कर कविता, उगल दिए सारे अपने गम
झूठ कहते रहे, कि ये सब एक कहानी है
हमको गम से प्यारी, अपनी अनमोल जवानी है
जो करीब थे दोस्त, सबपर उदासी का आलम छाया था
तू झूठ कहता है दोस्त, ये कहकर मुझको समझाया था
मेरी पाती पढ़, एक दोस्त ने अर्ज़ किया मुझसे
मुस्कुरा तू हमेशा, ये शिफारिश है तुझसे
अब सोचता हूँ कि दोस्तों को, और दुःख न देना है
जो मेरे दोस्त हैं उनसबसे, ब्लॉग अपना छुपा लेना है
डर लगता है कि, पकड़ा जाऊँगा मैं फिर से…..
“रब से कुछ न छुपा है….”
“दोस्तों में भी खुदा है…..”
Subscribe to:
Posts (Atom)