Tuesday, August 17, 2010

जिद्द है या दीवानापन है!!



 यह  कैसी  मीठी  उलझन  है ? 


धुप  तुम्हारी  याद  दिलाती,
छांव  तुम्हारी  ही  बातें  हैं,
आँखे  एक  झलक  को  प्यासी,
भूले  नहीं  भुला  पाते  हैं,



इतना  क्यों  मोहित  यह  मन  है!

तुमसे  मिलाने  को  आतुर  क्यों, 
मेरा  रोम  रोम  रहता  है,
प्यार  सही  है  , पाप  नहीं  है,
क्यों  मेरा  अंतर  कहता  है,



जिद्द  है  या  दीवानापन  है!! 

मिटटी  की  सौंधी  खुशबू  सी,
या  पूजा  की  झांझर  जैसी,
रिमझिम  रिमझिम  बरखा  हो,
तुम  बहती  नदिया  के  सुर  सी,



तुम  मैं  मेरा  बृन्दावन  है  !!!

Monday, August 16, 2010

मेरा दर्द उनके नाम



उन्हें प्यार करना ही नहीं आता,
हमें प्यार के सिवा कुछ नही आता!
जीने के दो ही रास्ते है,
एक उन्हें नही आता एक हमे नही आता!
वो हमारे सिवा सब से मिलते है,
हमे किसी से हाँथ मिलाना नही आता!
उन्हें होता नही यकीन हमारे सच्चे प्यार पे,
और हमे दिल चीर कर दिखाना नही आता!
वो भूल जाते हैं चेहरा तक मेरा,
एक हम हैं जिसे सपने में भी आलावे उनके नज़र कोई नही आता!

Sunday, August 15, 2010

ये तेरा दोस्ताना

 

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क्या ये तेरी दोस्ती और कैसा ये तेरा दोस्ताना
हसता है तू हमपर ऐसे, सुनकर मेरे प्यार का अफसाना

तू भी झूठा और ये तेरी दोस्ती भी झूठी
तूने बहुत है खींचा, तब ये डोर है टूटी

तुझसे लिपटकर, रोने को जी करता है
पर तू नहीं है मेरा दोस्त, ये सोचकर दिल रोता है

ये कविता नहीं मेरा दर्द रो रहा है
मुझे मालुम है कि तू बस, मेरे दर्द का भूका है

Friday, August 13, 2010

जन्मदिन आए बारंबार

Birthday
जन्मदिन आए बारंबार
तारों से चमको जग मग में
मिले स्नेह अपार
जन्मदिन आए बारंबार
खुशियों से भरी झोली हो
फिर भी कोयल सी बोली हो
झरे वसंत बहार
जन्मदिन आए बारंबार
अपनों के संग सब मेले हों
सच सपने सब अलबेले हों
किस्मत करे शृंगार
जन्मदिन आए बारंबार

Thursday, August 12, 2010

छूकर होंठ तेरे

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दम निकला दीवाने का, अब तो दीद देदो दिलबर मेरे….
मैं दीवानाआजकल”, अब आँसू गिरेंगे मेरे….
होंठ सूखे हुए हैं, सर्द हवा से मेरे
नरम होंगे ये अब, छूकर होंठ तेरे
देख लिया ज़माने की सभी, “ज़ीनतसी जवानों को
ज़माने की सारीज़ीनततुझमे, ये खबर नहीं है दीवानों को
दम निकला दीवाने का, अब तो दीद देदो दिलबर मेरे….
मैं दीवानाआजकल”, अब आँसू गिरेंगे मेरे….
तू कपडों में लगती, देवी की एक मूरत है
वरना तो तुझमे भोली सी, बस एक सूरत है
मैं जवानी के दिन अपने, जोड़ सकता हूँ उंगलियों पर
तू कर कुछ ऐसा, कि मैं रातें जोड़ पाऊँ उंगलियों पर


समझ मुझको अपना आशिक, मैं कोई कसम खाऊंगा
जब तक जवाँ रहेगी तू, बस तब तक साथ निभाऊंगा
दम निकला दीवाने का, अब तो दीद देदो दिलबर मेरे….
मैं दीवानाआजकल”, अब आँसू गिरेंगे मेरे….

Sunday, August 8, 2010

ये दूरियां

बिन  तेरे  ये  जिंदगी  अधूरी  थी ,
तेरे  साथ  न  होना  मेरी  मज़बूरी  थी ,
हो  कर  भी  पास  तू  दूर  थी  मुझे  से ,
जाने  ये  कैसी  दुरी  थी ,

आना  चाहता  था  पास  तेरे ,
पर  जाने  क्यों  इतना  डरता  था ,
दूर  से  देख  मुझे  वो  ,
धीरे  से  सजदा  करती  थी ,

मोहब्बत  में  वो  भी  मेरी ,
पल -पल  आहें   भारती  थी ,
छिप-छिप  कर  वो  मुझेसे  ,
मिलने  की  कोशिश   करती  थी ........