Sunday, February 11, 2018

Suhana Safar Aur Yeh Mausam / सुहाना सफर और ये मौसम हसीं

सुहाना सफ़र और ये मौसम हसीं
हमें ड़र हैं हम खो ना जाए कहीं

ये कौन हँसता है फूलों में छुपकर
बहार बेचैन है किसकी धूनपर
कहीं गुनगुन, कहीं रुनझुन के जैसे नाचे ज़मीन

ये गोरी नदियों का चलना उछलकर
के जैसे अल्हड़ चले पी से मिलकर
प्यारे प्यारे ये नज़ारे, निखार है हर कहीं

वो आसमां झूक रहा है ज़मींपर
ये मिलन हमने देखा यहीं पर
मेरी दुनिया, मेरे सपने मिलेंगे शायद यहीं

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