3.बातें याद रखना ..
1.किसी की शराफत को उसकी बुजदिली न समझना
2.किसी की सचाई को उसकी बेवकूफी न समझना
3.किसी के खुलोस को कभी टाइम पास न समझना
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इस कदर दूर के फिर लौट के भी आ ना सकू
एसी मंजिल के जहां खुद को भी मैं पा ना सकू
और मजबूरे हैं क्या इतना भी बतला ना सकू
आँख भर आई अगर अश्कों को मैं पी लूंगा
आह निकली जो कभी होठों को मैं सी लूंगा
तुझसे वादा हैं किया इसलिए मैं जी लूंगा
खुश रहे तू हैं जहां, ले जा दुवाएं मेरी
तेरी राहों से जुदा हो गयी राहें मेरी
कुछ नहीं साथ मेरे, बस हैं खताएं मेरी