Do you remember the first time you met your husband? Or your girlfriend? Was it love at first sight? Or did you have to come up with some sort of plan to convince your partner that you are the real one? Or wasn't there love at first sight, but something else got the two of you together?
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Friday, June 17, 2011
Sunday, February 27, 2011
तेरी दुनिया से हो के मजबूर चला
मैं बहुत दूर, बहुत दूर, बहुत दूर चला
मैं बहुत दूर, बहुत दूर, बहुत दूर चला
इस कदर दूर के फिर लौट के भी आ ना सकू
एसी मंजिल के जहां खुद को भी मैं पा ना सकू
और मजबूरे हैं क्या इतना भी बतला ना सकू
आँख भर आई अगर अश्कों को मैं पी लूंगा
आह निकली जो कभी होठों को मैं सी लूंगा
तुझसे वादा हैं किया इसलिए मैं जी लूंगा
खुश रहे तू हैं जहां, ले जा दुवाएं मेरी
तेरी राहों से जुदा हो गयी राहें मेरी
कुछ नहीं साथ मेरे, बस हैं खताएं मेरी
Wednesday, February 16, 2011
सबसे छुपा कर दर्द, में जो मुस्कुरा दिया
मेरी हंसी ने आज तो सबको रुला दिया,
लहजे से उठ रहा था, हर एक दर्द का धुंआ
चेहरा बता रहा था की कुछ गवां दिया,
आवाज़ में थिह्राव था, आँखों में नमी थी
और कह रहा था के मैंने सब कुछ भुला दिया,
जाने क्या उसको, लोगों से थी शिकायतें
तनहाइयों के दिस में खुद को बसा दिया,
खुद भी में सबसे बिछड़ कर, अधुरा सा हो गया
तुझ को भी इतने लोगो में तनहा बना दिया,
लहजे से उठ रहा था, हर एक दर्द का धुंआ
चेहरा बता रहा था की कुछ गवां दिया,
आवाज़ में थिह्राव था, आँखों में नमी थी
और कह रहा था के मैंने सब कुछ भुला दिया,
जाने क्या उसको, लोगों से थी शिकायतें
तनहाइयों के दिस में खुद को बसा दिया,
खुद भी में सबसे बिछड़ कर, अधुरा सा हो गया
तुझ को भी इतने लोगो में तनहा बना दिया,
सबसे छुपा कर दर्द, में जो मुस्कुरा दिया
मेरी हंसी ने आज तो सबको रुला दिया,
Saturday, January 8, 2011
मेरी नज़र की तलाश हो तुम
छु के जो गुज़रे वो हवा हो तुम,
मैंने जो मांगी वो दुआ हो तुम,
किया मैंने महसूस वो एहसास हो तुम,
किया मैंने महसूस वो एहसास हो तुम,
मेरी नज़र की तलाश हो तुम,
मेरी ज़िन्दगी का करार हो तुम,
मेरी ज़िन्दगी का करार हो तुम,
मैंने जो चाह वो प्यार हो तुम,
मेरे इंतजार की रहत हो तुम,
मेरे इंतजार की रहत हो तुम,
मेरे दिल की चाहत हो तुम,
तुम हो तू दुनिया है मेरी,
तुम हो तू दुनिया है मेरी,
कैसे कहूँ की सिर्फ प्यार नहीं,
मेरी जान हो तुम....................
मेरी जान हो तुम....................
Sunday, January 2, 2011
ज़बान
मेरी ज़बान मेरी हालत बता नहीं सकती
लबों पे रूकती दिलों में समां नहीं सकी !
वो एक बात जो लफ़्ज़ों में आ नहीं सकती
जो दिल में होना ज़रा ग़ुम तो अश्क पानी है,
के आग ख़ाक को कुंदन बना नहीं सकती
यकीन गुमान से बहार तू हो नहीं सकती,
नज़र ख्याल से आगे तू जा नहीं सकती.
दिलों के रंज फ़क़त अहले दर्द जानते हैं,
तेरी समझ में मेरी बात आ नहीं सकती.
यह सोच-ए-इश्क तो गूंगे का ख्वाब है जैसे
मेरी ज़बान मेरी हालत बता नहीं सकती.
लबों पे रखती दिलों में समां नहीं सकी,
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