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Wednesday, February 22, 2012
Wednesday, August 17, 2011
Friday, June 17, 2011
Sunday, February 27, 2011
तेरी दुनिया से हो के मजबूर चला
मैं बहुत दूर, बहुत दूर, बहुत दूर चला
मैं बहुत दूर, बहुत दूर, बहुत दूर चला
इस कदर दूर के फिर लौट के भी आ ना सकू
एसी मंजिल के जहां खुद को भी मैं पा ना सकू
और मजबूरे हैं क्या इतना भी बतला ना सकू
आँख भर आई अगर अश्कों को मैं पी लूंगा
आह निकली जो कभी होठों को मैं सी लूंगा
तुझसे वादा हैं किया इसलिए मैं जी लूंगा
खुश रहे तू हैं जहां, ले जा दुवाएं मेरी
तेरी राहों से जुदा हो गयी राहें मेरी
कुछ नहीं साथ मेरे, बस हैं खताएं मेरी
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