Sunday, February 11, 2018

Ye Raatein Ye Mausam / ये रातें, ये मौसम नदी का किनारा

ये रातें, ये मौसम, नदी का किनारा, ये चंचल हवा
कहा दो दिलों ने, के मिलकर कभी हम ना होंगे जुदा

ये क्या बात है आज की चाँदनी में
के हम खो गये प्यार की रागनी में
ये बाहों में बाहें, ये बहकी निगाहें
लो आने लगा जिंदगी का मज़ा

सितारों की महफ़िल नें कर के इशारा
कहा अब तो सारा जहां है तुम्हारा
मोहब्बत जवां हो, खुला आसमां हो
करे कोई दिल आरजू और क्या

कसम है तुम्हे, तुम अगर मुझसे रूठे
रहे सांस जब तक ये बंधन ना टूटे
तुम्हे दिल दिया है, ये वादा किया है
सनम मैं तुम्हारी रहूंगी सदा

Suhana Safar Aur Yeh Mausam / सुहाना सफर और ये मौसम हसीं

सुहाना सफ़र और ये मौसम हसीं
हमें ड़र हैं हम खो ना जाए कहीं

ये कौन हँसता है फूलों में छुपकर
बहार बेचैन है किसकी धूनपर
कहीं गुनगुन, कहीं रुनझुन के जैसे नाचे ज़मीन

ये गोरी नदियों का चलना उछलकर
के जैसे अल्हड़ चले पी से मिलकर
प्यारे प्यारे ये नज़ारे, निखार है हर कहीं

वो आसमां झूक रहा है ज़मींपर
ये मिलन हमने देखा यहीं पर
मेरी दुनिया, मेरे सपने मिलेंगे शायद यहीं

Saturday, September 9, 2017

झाँक रहे है इधर उधर सब।

झाँक रहे है इधर उधर सब।

अपने अंदर झांकें कौन?

ढ़ूंढ़ रहे दुनियाँ में कमियां।

अपने मन में ताके कौन?

सबके भीतर दर्द छुपा है।

उसको अब ललकारे कौन?

दुनियाँ सुधरे सब चिल्लाते।

खुद को आज सुधारे कौन?

पर उपदेश कुशल बहुतेरे।

खुद पर आज विचारे कौन?


हम सुधरें तो जग सुधरेगा

यह सीधी बात उतारे कौन?

दोस्त अब थकने लगे है

*दोस्त अब थकने लगे है*

किसीका *पेट* निकल आया है,
किसीके *बाल* पकने लगे है...

सब पर भारी *ज़िम्मेदारी* है,
सबको छोटी मोटी कोई *बीमारी* है।

दिनभर जो *भागते दौड़ते* थे,
वो अब चलते चलते भी *रुकने* लगे है।

पर ये हकीकत है,
सब दोस्त *थकने* लगे है...1

किसी को *लोन* की फ़िक्र है,
कहीं *हेल्थ टेस्ट* का ज़िक्र है।

फुर्सत की सब को कमी है,
आँखों में अजीब सी नमीं है।

कल जो प्यार के *ख़त लिखते* थे,
आज *बीमे के फार्म* भरने में लगे है।

पर ये हकीकत है
सब दोस्त थकने लगे है....2

देख कर *पुरानी तस्वीरें*,
आज जी भर आता है।

क्या अजीब शै है ये वक़्त भी,
किस तरहा ये गुज़र जाता है।

कल का *जवान* दोस्त मेरा,
आज *अधेड़* नज़र आता है...

*ख़्वाब सजाते* थे जो कभी ,
आज *गुज़रे दिनों में खोने* लगे है।

पर ये हकीकत है
सब दोस्त थकने लगे है...

Tuesday, April 18, 2017

रिश्ते के लिए

मैं रूठा, तुम भी रूठ गए
फिर मनाएगा कौन!

आज दरार है, कल खाई होगी
फिर भरेगा कौन!

मैं चुप, तुम भी चुप
इस चुप्पी को फिर तोडे़गा कौन!

बात छोटी को लगा लोगे दिल से,
तो रिश्ता फिर निभाएगा कौन!

दुखी मैं भी और तुम भी बिछड़कर,
सोचो हाथ फिर बढ़ाएगा कौन!

मैं राजी, तुम राजी,
फिर माफ़ करने का बड़प्पन दिखाएगा कौन!

डूब जाएगा यादों में दिल कभी,
तो फिर धैर्य बंधायेगा कौन!

एक अहम् मेरे, एक तेरे भीतर भी,
इस अहम् को फिर हराएगा कौन!

ज़िंदगी किसको मिली है सदा के लिए
फिर इन लम्हों में अकेला रह जाएगा कौन!

मूंद ली दोनों में से गर किसी दिन एक ने आँखें..

तो कल इस बात पर फिर पछतायेगा कौन!!

Thursday, February 9, 2017

तेरा सहारा

तेरा जाना दिल को कभी गँवारा ना हुआ,

ऐसा रूठा हमसे फिर कभी हमारा ना हुआ,

बहुत हसरत रही कि तेरे साथ चले हम,

बस तेरी और से ही कभी इशारा ना हुआ,

मौत अच्छी थी जिसने उठाया था मुझको,

जिन्दगी यू तेरा मुझे कभी सहारा ना हुआ..

Sunday, May 22, 2016

चोट के निशान को सजा कर रखना




अपने दिल को पत्थर का बना कर रखना ,
हर चोट के निशान को सजा कर रखना
उड़ना हवा में खुल कर लेकिन ,
अपने कदमों को ज़मी से मिला कर रखना
छाव में माना सुकून मिलता है बहुत ,
फिर भी धूप में खुद को जला कर रखना
उम्रभर साथ तो रिश्ते नहीं रहते हैं ,
यादों में हर किसी को जिन्दा रखना
वक्त के साथ चलते-चलते , खो ना जाना ,
खुद को दुनिया से छिपा कर रखना
रातभर जाग कर रोना चाहो जो कभी ,
अपने चेहरे को दोस्तों से छिपा कर रखना
तुफानो को कब तक रोक सकोगे तुम ,
कश्ती और मांझी का याद पता रखना
हर कहीं जिन्दगी एक सी ही होती हैं ,
अपने ज़ख्मों को अपनो को बता कर रखना
मन्दिरो में ही मिलते हो भगवान जरुरी नहीं ,
हर किसी से रिश्ता बना कर रखना
मरना जीना बस में कहाँ है अपने ,
हर पल में जिन्दगी का लुफ्त उठाये रखना
दर्द कभी आखरी नहीं होता ,
अपनी आँखों में अश्को को बचा कर रखना
सूरज तो रोज ही आता है मगर ,
अपने दिलो मेंदीपको जला कर रखना